रथ यात्रा, जिसे चारियोत्र या चारियोत्र उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। “रथ यात्रा” शब्द का अर्थ होता है “चारियोत्र प्रदर्शन”। यह लॉर्ड जगन्नाथ (Jagannath image) के भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो कि भगवान कृष्ण का एक रूप है।
रथ यात्रा के दौरान, विशाल और सुशोभित रथों को सड़कों पर खींचा जाता है, जिनमें लॉर्ड जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और उनके भाई बलभद्र की मूर्तियाँ स्थापित होती हैं। यह तिरोहण कई भक्तों को आकर्षित करता है जो इस घटना का साक्षी बनने और भाग लेने के लिए आते हैं।
मुख्य रथ यात्रा पुरी, ओडिशा में होती है, जहां जगन्नाथ मंदिर स्थित है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार जून या जुलाई महीने में आता है। पुरी में दुनिया भर से भक्तों की भीड़ इस महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए इकट्ठा होती है।
यात्रा में प्रयुक्त रथों को खूबसूरती से सजाया जाता है और इन्हें हर साल समर्पित रूप से बनाया जाता है। भगवान की मूर्तियों को इन रथों पर रखा जाता है और भक्तों द्वारा उनको खींचकर यात्रा किया जाता है। यात्रा सड़कों से होती है और लोग भक्तिमय गाने गाते हैं, नृत्य करते हैं और लॉर्ड जगन्नाथ का नाम जपते हैं।
रथ यात्रा का महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। यह माना जाता है कि रथों को खींचने से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है और वे भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह त्योहार एकता, भक्ति और देवी-देवताओं की यात्रा को मंदिर से उनकी चाची के निवास स्थान, गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाने का प्रतीक है।
पुरी के अलावा, भारत के विभिन्न शहरों और गाँवों में इसी तरह की चारियोत्र प्रक्रियाएं आयोजित की जाती हैं। इन स्थानीय रथ यात्राओं में भी बहुत सारे भक्त आकर्षित होते हैं और इनके माध्यम से देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया जाता है।
रथ यात्रा एक जीवंत और आनंदमय त्योहार है जो लोगों को अपने आस्था और भक्ति के साथ मिलकर मनाने का मौका देता है। यह भक्ति, प्रार्थना और उत्सव का समय है, जिससे आध्यात्मिकता और उत्साह से भरी माहौल बनती है।
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